मध्यप्रदेश में बीता साल किसानों और बेरोजगार नौजवानों के लिये नया सवेरा लेकर आया है। राज्य सरकार ने कृषि के साथ उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में किसानों और नौजवानों को प्राथमिकता देते हुए उनके लिये आर्थिक मदद के रास्ते भी खोल दिए हैं। ये दोनों क्षेत्र किसानों और नौजवानों के लिये अतिरिक्त आय का सशक्त माध्यम बन गए हैं। अब प्रदेश का किसान खेती के साथ उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के कारोबार अपनाने लगा है। बेरोजगार नौजवान भी इस क्षेत्र को आधुनिक तकनीक के साथ अपनाकर स्वावलम्बी बन रहे हैं।
प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी किसान को समृद्ध बनाने और नौजवान को रोजगार देने की। सरकार ने उद्यानिकी में सब्जी एवं मसाला क्षेत्र विस्तार योजना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के किसानों की अनुदान राशि को 50 से बढ़ाकर 70 प्रतिशत कर दिया है। इससे अब किसानों को प्रति हेक्टेयर 70 हजार रूपये तक अनुदान मिल रहा है। अनुदान में बीज के साथ प्लास्टिक क्रेट और बेल वाली सब्जियों फसलों के मंडप बनाने की सामग्री पर भी अनुदान मिल रहा है। इससे किसानों को उद्यानिकी उत्पादों को खेत से मंडी तक ले जाने में होने वाले फसल नुकसान में 20 से 25 प्रतिशत कमी हुई है। फसल उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी रहने से मंडी में अधिक मूल्य भी मिलने लगा है। किसानों की मांग पर सरकार ने अब बेल वाली फसलों की मंडप निर्माण सामग्री पर 7 से 12 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से दो हैक्टेयर तक खेती करने पर अनुदान देने का निर्णय लिया है। इससे बेल वाली सब्जियों की फसलें मण्डप पर लगाने से फसल के उत्पादन का समय बढ़कर 6 से 7 माह होगा। साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता बहुत अच्छी होने से बाजार में रेट भी 20 से 25 प्रतिशत अधिक प्राप्त होंगे। इस तरह करेला, गिलकी, लौकी आदि की फसलों से किसानों को प्रति हैक्टेयर 2 से 3 लाख रूपये की आय होगी।